आज़माइश
आज़माइश
आज़माइश हमारे प्यार की
वो इस तरह करते रहे
मेरे लिखे ख़तों को वो
टुकड़े-टुकड़े करते रहे
कहते हैं इम्तिहान है ये
ज़ालिम तेरी मोहब्बत का
ऐसे संगदिल की मोहब्बत में
हम फ़ना होते रहे।
आज़माइश हमारे प्यार की
वो इस तरह करते रहे
मेरे लिखे ख़तों को वो
टुकड़े-टुकड़े करते रहे
कहते हैं इम्तिहान है ये
ज़ालिम तेरी मोहब्बत का
ऐसे संगदिल की मोहब्बत में
हम फ़ना होते रहे।