आज़म नैय्यर
आज़म नैय्यर
उसको नहीं मेरा ही अब इंतजार है !
अब भूलना उसको दिल से ही यार है
वो दें गया दग़ा बेदर्द प्यार में
जिससे करी मुहब्बत बेशुमार है
सूरत अगर उसनें देखूँ न एक पल
दिल को नहीं आता मेरे क़रार है
वीरान कर गया मेरा ख़ुशी से दिल
जिससे किया बहुत मैंनें प्यार है
इक दूसरे का पूछे हाले दिल नहीं
रिश्तों में पड़ गयी ऐसी दरार है
की जल रहे ख़ुशी के फ़ूल जीस्त से
अब रोज़ आ रही ग़म की दयार है
मौसम ए चल रहा है नफ़रतों का ही
आयी नहीं मुहब्बत की बहार है
आता नहीं बुलाने पर भी मिलनें को
जिसके लिये आज़म दिल बेक़रार है।
आज़म नैय्यर