आज़ादी पहले का भारत
आज़ादी पहले का भारत
एक जन्नत सी धरती पर
आ बैठे कुछ अंग्रेज शिकारी
जन्नत पाने के लिए
करने लगे जुल्मों-सितम
जन्नत के मतवालोंने न मानी हार
लड़ते रहे उसके लिए जंग
लंबी चली लड़ाई हुए हजारों क़ुर्बान
जकड़े थे बेड़ियों में थे अंग्रेज के गुलाम
ठान लिया उन विरों ने बेड़ियों को तोड़ेंगे
खुली हवा में सांस लेने अब परिंदे उड़ेंगे
अंग्रेज शिकारी ने पंख दिए कांट
बिन पंखों के उड़ने की फ़िर से हुए चाह
लड़ते रहे जब तक मिली नहीं सफलता
अब हर कोई आज़ाद भारत का नागरिक कहलाता
था ऐसा आज़ादी पहले का भारत
उनकी कुर्बानी से आज आज़ाद है हमारा भारत।
