आज़ादी की खुशबू
आज़ादी की खुशबू
हाथों की ज़ंज़ीरे तोड़ दो
मुझे इस जहाँ में कुछ पल को खुला छोड़ दो
न व्यर्थ की दीवारें हो
न कोई बंदिशे हों
बस, एहसासों के किनारे हों
सपने बहुत सारे हों
न मेरा और तुम्हारा हो
एक जहाँ हो जो बहुत प्यारा हो
हाथों की ज़ंज़ीरे तोड़ दो
मुझे इस जहाँ में कुछ पल को खुला छोड़ दो।