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Shakuntla Agarwal

Inspirational

4.2  

Shakuntla Agarwal

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"आज़ादी का अमृत महोत्सव"

"आज़ादी का अमृत महोत्सव"

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जिन शहीदों की शहादत ने,

हमकों ये दिन दिखलाया,

75 वां आज़ादी का पर्व मनाने का,

हमने सौभाग्य पाया,

उन वीरों की याद में,

कुछ अश्क़ तो बहाओ,

माँ की ममता त्याग जिन्होंने,

बलिदानी जामा पहना था,

हम आज़ाद वाशिंदे कहलायें,

अपना सर्वस्व त्याग दिया,

उन वीरों को नमन कर,

कुछ अश्क़ भी तो बहाओ,

75 वां आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाओं,

गुलामी की ज़ंजीरें तोड़ी,

तब 75 वां महोत्सव आया है,

फाँसी गले लगायी सपूतों ने,

तब आज़ाद हिन्द पाया हैं,

<

p>सिरों की बलिदानी देकर,

75 वां बसंत मनाया हैं,

बसंती चोला पहन,

सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंह ने,

हमारें ख़्वाबों को सजाया है,

कोख़ जिनकी हो गयी सूनी,

कुछ धीर उन्हें भी बँधाओ,

उन वीरांगनाओं को गले लगाकर,

झूमों, नाचों, संग में गाओ,

अमृत कलश छलकाओं,

राग - रागनी गाओ,

आँगन रंगोली सजाओ,

घर - घर दीप जलाओ,

तारें जमीं पर बिछाओं,

75 वां आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाओं,

75 वां आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाओं,

जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द।।


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