आवारा लड़कियाँ
आवारा लड़कियाँ
जो लड़कियाँ चाँद को
छूने की सोच रखती है
जो अपनी करती रहती है
जो अपने मन की करती है
जो सोचने की कुव्वत रखती है
जो बोलने की हिम्मत रखती है
सदियों से वह किसे भाती रही है?
समाज के एक वर्ग को
वह लड़कियाँ आवारा लगती है
क्योंकि वह उन्हें चैलेंज करती है
जो परंपरा पर सवाल करती है
और साफगोईं से उत्तर माँगती है
बेपरवाही से वह प्रेम करती है
प्रेमी संग प्रेम में डूब जाती है
प्रेम में घर से भाग जाती है
अब लैला मजनू का जमाना नहीं है
और ना ही शीरी फरहाद का
अब तो पंचायतें होती है
जिनमे फरमान सुनाएँ जाते है
उनको मौत के घाट उतारने का
पंचायत से सवाल करने पर
सारी पंचायत उसे आवारा कह कर
उन सारे सवालों को टाल देती है
और जवाब में उस परिवार का
हुक्का पानी बंद करती है
पंचायत के खौफ़ और दहशत में
प्रेम सहम कर पीछे छूट जाता है
