आवाज
आवाज
आज ऊठेगी फिर आवाज
नारी को संमान दिलाने
कुचला गया जो उसकी पहचान
सालो तक थी जो गुमनाम
घोर अंधेरे मे थी बेनाम
उसको पहचान दिलाने को.
जो है अभी तक गुलाम
उसको पहचान दिलाने को
हटा दो सारे पहरे
घुघंट, डेहरी, कम पढी लिखी
घर के कमरे सहमी सी
दे दो उसे भी ये अरमान
पढ़ने लिखने का अधिकार
और पाए वो भी खुद की पहचान
अब न हो दहेज का खिलवाड,तभी तो होगा
हर घर मे हो बेटी का अधिकार.