STORYMIRROR

Ashish Pathak

Inspirational

4  

Ashish Pathak

Inspirational

आत्मनिर्भर

आत्मनिर्भर

2 mins
72

चलो उठो तुम क्यों बैठे हो, अब किसी की आस में।

तू क्यों कर रहा व्यर्थ में चिंतन, सब है तेरे पास में।।

ठान अगर तू बात जो मन में, पल में वो पूरा होगा।

कदम बढ़ा और चल तू आगे, तेरा हर सपना पूरा होगा।।


सुनो गौर से भारतवासी , तुम न किसी पर निर्भर हो।

स्वमं उठो तुम, आगे बढ़ तू, तुम औरों के दर्पण हो।

वो समय आ गया है जब सब, अब भारत को ही जानेगा।

तुम काम करोगे जो जग में तुमको उससे पहचानेगा।।


है जन्म मिला इस दुनिया मे तुम व्यर्थ न इसको जाने दो।

कुछ काम करो, कुछ नाम करो, तुम व्यर्थ न इसको जाने दो।

तुम उठो और पहचान लो खुद को, तुम क्या क्या कर सकते हो।

रहो आत्म निर्भर खुद पर, हर काम सफल कर सकते हो।।


हैं ज्ञात नहीं शायद तुझको, तुझमें भी इतनी साहस है,

जीवन को सरल बना लो तुम, तुझमें भी इतनी साहस है।

चल पड़ो राह पड़, डटे रहो, तू भी सब कुछ कर पायेगा,

जो स्वप्न देख रहा था अब तक, वो आज सफल हो जाएगा।


मत सोचो अब तुम व्यर्थ कभी, जो बातें थी वो बीत गई,

मत सोचों, जो व्यर्थ किया जीवन, वो तो पल भर कि चाहत थी।

तुझमे भी इतनी हिम्मत है, पत्थर को भी पिघला दोगे,

तुम चाह लो जो दिल से एक पल, जीवन को सफल बना लोगे।


है चाह जहाँ, हैं राह वहाँ, मंज़िल भी हासिल कर लेगा,

तू चाह अगर एक पल के लिए , हर पल को हासिल कर लेगा।

बना लो जीवन को जैसे, तेरे जैसा न हुआ कभी,

आने वाली पीढ़ी को तू एक नई दिशा तू अब देगा।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational