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Manjul Singh

Tragedy

4.5  

Manjul Singh

Tragedy

आत्महत्या के विरुद्ध

आत्महत्या के विरुद्ध

1 min
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सूरज अपनी रोशनी समेट रहा था,

चांद आसमान को फाड़ कर बाहर निकल रहा था

आसमान पहले से भी ज्यादा गहराता जा रहा था

धुंध बेबजह घरो से निकल कर भाग रही थी

कुत्ते आज भौंकने की जगह दहाड़ रहे थे

वो दफ़्तर से निकला आदमी

नींद की गोली की जगह

चूहें मारने की दवा

यह कह कर ख़रीद रहा था

कि पत्नी आजकल

चूहों से ज्यादा परेशान रहती है!


औरत दिमाग और जुबान पर ताला लगाकर

हाथों को काम पर गिरवी रख चुकी थी!

बच्चे पता नहीं क्यों आज

कॉपी के सबसे आखिरी पन्ने पर

पापा को मम्मी को पीटते हुए का

चित्र बना रहे थे?


बच्चें सुबह स्कूल जाने की बजाय रो रहे थे,

घर के बाहर सफ़ेद रंग का शामियाना तन चुका था

वह दफ्तर वाला आदमी कह रहा था

मैं रात को जल्दी सो गया था

और वो महीने के आखिरी

का कैलेंडर बदल रही थीं!

और डॉक्टर की रिपोर्ट बोल रही थीं कि

नींद की गोली की जगह

चूहें मारने की दवाई खाई हैं

इस औरत ने!

लेक़िन वो तो,

आत्महत्या के विरुद्ध थीं?



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