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Manoj Kumar

Romance Inspirational

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Manoj Kumar

Romance Inspirational

आशू मेरी दोस्त

आशू मेरी दोस्त

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कितनी अच्छी कितनी भोली।

आशू मेरी दोस्त।

पुस्तक के पुस्तकालय बनकर।

देती मुझेअच्छाइयों का ज्ञान, ये है मेरी दोस्त।


सितार के तार जैसी बोली इसकी।

कभी नहीं झूठ बोलती।

ये अच्छी मित्रता निभाती हैं।

मिली मुझे कब राम जाने, ये समय मेरी बताती।


छुप कर बाते जो करते हैं।

वो मुझे समझाती है।

ऐसा करने से क्या होगा मित्र।

घरवाले को क्यों नहीं बताते हो, 

ऐसा वो कहती हैं।


पर क्या करें डर लगता है मुझे।

कोई कुछ मुझे बोल न दें।

ऐसे सोच कर भाग जाता हूं बाहर।

डर के मारे रूह कांपता, समाज कुछ कह न दें।


ऐसा मित्र कभी नहीं पाया मैं।

पहली बार बनाया मैं हीरा समझ रहा हूं।

आगे देखता हूं क्या होगा, ये तो ईश्वर ही बताएगा।

वो अच्छी है ये मेरा दिल कहता है, 

ये सब मैं समझ रहा हूं।


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