“ आश्चर्य की यात्रा ”
“ आश्चर्य की यात्रा ”
तुझ से मिलना आश्चर्य सा था,
मिले तुम अचानक से हमें,
और वो पल भी क्या खास़ था,
लम्हा क्या खुशनुमा सा था,
तुझ से मिलना तकदीर थी मेरी,
हमारी दास्तान कुछ अलग सी थी,
तुम कुछ अमूल्य से थे मेरे लिए,
आज भी खास ही हो पहले जितने ही,
तुम्हारा वो तोहफा याद है
वो भूल ना पाऊंगी मैं जीवन भर,
तुझ ही मेरा किमती तोहफा सा,
तू ही एक इबादत सा हैं ,
तू ही करीब और तु ही अनमोल,
तू ही अमूल्य रत्न समान है ।

