“ ए यौवन ”
“ ए यौवन ”
इस रंगीन से जहाँ में हैं रंग कई,
यौवन हैं यह रंगीन सा,
धरती हरी भरी, आसमान हैं नीला,
यह यौवन पूरा हैं हरा-भरा,
वृक्ष हैं हरे और हरे-भरे,
यह यौवन हैं रंगो से भरा सा,
रंगीन सा यह यौवन हैं,
नये नये रंगो का संगम हैं,
कोई हरा तो कोई नीला हैं,
प्रकृत्ति के यह रंग निराले हैं,
रंग लाल तो शरीर का भी रंग अलग हैं,
यूँ ही रंगो का संयम हैं,
रंग हरा तो वृक्ष भी हरे हैं,
रंग नीला तो आसमान भी नीला हैं,
यूँह ही रंगो का संयम हैं,
रंग कथ्थाई तो पर्वत भी कथ्थाई हैं
यह यौवन रंगीला हैं।
