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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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आशा वाली मन की बात

आशा वाली मन की बात

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प्रिय डायरी के लेखन में क्रम में,

शामिल"मन की बात"के हैं उद्गार,।

2020,अप्रैल की छब्बीसवीं तिथि ,

और इस माह है का चौथा रविवार।।


माह के अंतिम रविवारों जैसी व्यग्रता,

क्या मोदी जी रखेंगे सुनें उनके विचार?

दैनिक सारे कामों को शीघ्रता से निपटाया,

अलार्म के बाद-बेसब्री से ग्यारह का इंतजार।।


"मन की बात "कार्यक्रम की थी, 

प्यारी सी थी यह चौंसठवीं कड़ी ।

कोरोना योद्धाओं की प्रशंसा की गई

और की गई विश्व बंधुता की बात बड़ी।।


योगदान हर भारतीय का था सराहा,

मिल रही है आज सफलता हमें बड़ी ।

रमज़ान-ईस्टर-बिहू-होली-बैशाखी,

त्योहार मनाने की नई परंपरा भी पड़ी।।


खाना-खेलना मिल जुलकर के, 

सहयोग करना है सदा मानवीय प्रकृति।

दूजे के भाग को नोंच झपट के छीनना,

यह है मानव मन की गंभीर विकृति।।


अगणित सी सह तकलीफें परहित करना ,

 है विश्वगुरु भारत की प्राचीन संस्कृति।

आयुर्वेद-योग शुभ विधाएं हैं भारत की ,

सदा कल्याणकारी रही है भारतीय नियति।।


कोरोना के इस संकट काल में तो,

आए हैं कई सकारात्मक बदलाव,

मिले नए पथ जो अकल्पनीय से,

शुद्ध पर्यावरण संग आए त्याग के भाव।


अक्षय सद्गुणों की स्मृति -आज अक्षय तृतीया के दिन,

संयम-धैर्य -अनुशासन तो जगाएगा सबका ही सौभाग्य।

दो गज की दूरी - है बड़ी जरूरी, ईद से पहले विजय मिलेगी ,

 हम सब मिलकर करें यह आशा जल्दी जाएगा कोरोना भाग।।


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