आशा जगाएं-निराशा भगाएं
आशा जगाएं-निराशा भगाएं
सदा बलवती रखें हम मन में आशाएं,
निराशा के भाव कभी चित में न लाएं।
करके भरोसा प्रभु पर हम सदा हर्षाएं,
कभी मुश्किलें आकर मन को डिगाएं,
सकार भाव से हर बाधा को हम हराएं।
जीवन में कई बार होगी परीक्षा हमारी,
सहायता करेंगे अपनी विवेक-त्रिपुरारी।
सहयोगी प्रभु का रूप कभी न बिसराएं,
सदा बलवती रखें हम मन में आशाएं,
निराशा के भाव कभी चित में न लाएं।
हमेशा भरोसा रहे तुम कृति प्रभु हो खास,
विविध रूपों में ही सर्वदा हैं वे हरदम पास।
मिल-जुल करेंगे कर्म विश्वास रखेंगे बनाए,
सदा बलवती रखें हम मन में आशाएं,
निराशा के भाव कभी चित में न लाएं।