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Nitu Rathore Rathore

Romance

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Nitu Rathore Rathore

Romance

आरजू

आरजू

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201


हाथों में है जो हाथ मुक़द्दर सँवर गये

कहने में सच अभी ये जरा सा हम डर गये।


खिंच ले ही आई मुझे ये खनकती हुई चूड़ी

बढ़ती रही तू आगे थोड़ा हम ठहर गये।


हाथों में लाल-लाल चूड़ियों भरी रही

वो खनकाती चूड़ियों से पागल ही कर गये।


क्यों हाथ मेहँदी से रचायें नहीं अभी

आए थे दिन बहार के यूँ ही गुजर गये।


हथेली पे "नीतू" नाम तू लिखना सही- सही

इस आरजू में चाँद ज़मी पर उतर गये।



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