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NOOR E ISHAL

Inspirational

4  

NOOR E ISHAL

Inspirational

आपस में क्यूँ लड़ रहे हैं

आपस में क्यूँ लड़ रहे हैं

2 mins
385


हम तुम कभी एक रंग एक जान हुआ करते थे

हमेशा तुम हमारा हम तुम्हारा मान रखा करते थे

          कभी तुम भी ख़ुश होते थे हमें ख़ुश देखकर

          हँसी तुम्हारी बाकी रखी हमने दुख सहकर

क्यूँ वक़्त की आग में झुलस गयीं मोहब्बतें

दिलों की उलझनों में क्या फँस गयी चाहतें

      मिठाई दीवाली की हमारे संग ही मीठी लगे तुम्हें 

      ईद की खुशियाँ तुम्हारे बिना फीकी सी लगे हमें

कामयाबी की सीढ़ियाँ हमारे लिये तुम बने रहे

सुख दुख में हम भी तुम्हारे लिये हरपल लगे रहे

        चंदन रोली पवित्र गंगाजल से हम मंत्र मुग्ध थे

       अजानों का अहतराम करने में तुम भी सख्त थे

सब अपना था फिर क्यूँ बन गये हम अजनबी

भूल उन्नति हम तुम निभाने लगे सिर्फ दुश्मनी

          हो के जुदा एक दूजे से बताओ कैसे जीयेंगे

          कहाँ कहाँ और कितनी यादों को मिटायेंगे

बचपन की काग़ज़ की नावें जो साथ बनायी थी

गन्ने का रस या चाट पकौड़ी जो साथ खायी थी

         इम्तिहान में जब भी कभी मुश्किल आयी थी

         पूरी रात संग पढ़ कर हमने वो निपटायी थी

फर्स्ट डे फर्स्ट शो में हम तुम साथ होते थे ना

घर से पिटकर आते थे संग बैठकर रोते थे ना

          मोहल्ले में हम तुम ही दादागिरी दिखाते थे

         होती थी शिकायत तो एक दूजे को बचाते थे

माँ के लिये चौराहे से रिक्शा तुम ही तो बुलाते थे

अम्मी के पान भी हम दोनों पैदल जाके लाते थे

         बचपन के गुरुओं ने हमें भाई भाई बताया था

        देकर सच्ची शिक्षा हमें एक कुटुंब बनाया था

बताओ ना बात बेबात आपस में क्यूँ लड़ रहे हैं

सुनो ना आजकल सबक ये कैसा सीख रहे हैं

          क्या कर रहा है कोई गलत मुखबिरी हमारी

         हम तक भी पहुँचा रहा है झूठ खबरें तुम्हारी

बिछड़ कर हम तुम शायद जी तो लेंगे ही

सच बताओ पर क्या ख़ुश रह पाएंगे कभी

      नैतिकता का पाठ कैसे नयी पीढ़ी को सिखाएंगे

      दीप तले अँधेरा नहीं है मन को कैसे समझाएंगे



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