आदत
आदत
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चेहरा अपना क्यूँ अजनबी सा है
हुई हमें संजीदा रहने की आदत
हर लम्हा ये मुस्कराने की आदत
बताती है रंजीदा होने की आदत
ज़ाहिर आख़िर हुए कुछ मीठे लोग
जिन्हें रही पोशीदा होने की आदत
कर ही गयी हमको बेज़ार मुकम्मल
हर इक पे गिरवीदा होने की आदत
दिख जाते है कुछ ख़ुशनुमा मंज़र
बुरी नहीं ख़्वाबीदा होने की आदत
खुली किताब के वरक़ महफ़ूज़ नहीं
अच्छी नहीं बोसीदा होने की आदत
हम क़ायल हैं सीधी साफ़ बातों के
दिल को है पेचीदा होने की आदत।