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Nitu Mathur

Inspirational

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Nitu Mathur

Inspirational

मैं पूरक

मैं पूरक

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मैं पूर्ण ,मैं पूरक मैं.. मैं वर्षा की रसधार

मैं ही जड़, मैं ही डाल, मैं खुद अपनी आधार

चले कदम मेरे .. तो बजे पायल की झनकार

झुकीपलक, खिलता मुख शर्माती कजरे की धार,

 सीधा सरल रूप मेरा ..है सादा श्रंगार

 हर अपने को गले लगाऊं, ऐसा मेरा प्यार

 ना द्वेष,ना कलेश ना कोई अभिमान जहां

 हर नारी को साथ लेकर निर्मित करूं नया संसार।


         


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