"आओ पेड लगायें हम"
"आओ पेड लगायें हम"


जल जंगल जमीन सब अपना,
आओ पेड़ बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ!पेड़ लगायें हम।।
हवा प्रदूषित मृदा प्रदूषित,
संकट में ओजोन परत।
तप्त धरा है जल भी दूषित,
क्यों मानव तू हुआ पतित?
आँगन अपना धूल धूसरित,
फूलों से महकायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ!पेड़ लगायें हम।।
जल जंगल जमीन सब अपना,
आओ पेड़ बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ पेड़ लगायें हम।।
निर्झर झरने झर झर बहते,
दिल प्रमुदित कर देते हैं।
वन उपवन बागान सभी में,
खग कलरव मन हरते हैं।
यदि चाहिए पवन के झोंके,
पर्यावरण बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ!पेड़ लगायें हम।।
जल जंगल जमीन सब अपना,
आओ पेड़ बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ पेड़ लगायें हम।।
निर्मल नीर सदा बहने दो,
पावान रहने दो नदियाँ।
मधुमय जल से खेत सींच लो,
पाओगे सुंदर फ
लियाँ।
चहुँ ओर परिवेश में अपना,
आओ!पेड़ बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ!पेड़ लगायें हम।।
जल जंगल जमीन सब अपना,
आओ पेड़ बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ पेड़ लगायें हम।।
पथ का राही थकने लगता
कहीं उसे भी छाँव मिले।
गाँव सुशोभित हरीतिमा से,
पशुधन को भी छाँव मिले।
हों कस्बे औ शहर सजीले
अपनी धरा सजायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
जल जंगल जमीन सब अपना,
आओ पेड़ बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ पेड़ लगायें हम।।
गगन चूमते ऊँचे पर्वत
हिमनद सारे अकुलाते।
क्रंदन कोलाहल इस बाबत,
ठहर ठहर कर गुस्साते।
इक दिन ऐसी होगी आफत,
सब कुछ खो जायेंगे हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ!पेड़ लगायें हम।।
जल जंगल जमीन सब अपना,
आओ पेड़ बचायें हम।
जीवन हरा भरा है करना,
आओ पेड़ लगायें हम।।