आओ भारत को करें अखंड
आओ भारत को करें अखंड
देख जाति, पांति और धर्म के हिंसक दंगे,
मन व्यथित देख, भीषण मानवता की जंगे,
सब भारत माता के गर्भ से, मानव जन्मे,
सब एक है औरो एक रहेंगे, ले लो ये प्रण मन में।
जाँति, पांति और धर्म से बड़े, मानवता के अंग,
आओ मिलकर के करें, भारत माँ को अखंड,
हम सब एक ही बगिया के, सुगन्धित फूल ,
महकाना अपने चमन को, कैसे गये हम भूल,
उखाड फेंके देश की मिट्टी से, ये भेदभाव की मूल,
मानवता के बीज उगा दें, ना चुभें ये हिंसक शूल।।
देश की उन्नति में बाधक बने,ये भेदभाव के दंश,
आओ मिलकर के करें, इस दानव का अन्त,
अमन की नदियाँ बहे देश में, बहे ना रक्त की एक बूँद,
सबको देखें एक नजर से,सबका रहे एक समान वजूद,
भारत माता को करें, भेंट उपहार शन्ति सुन्दर स्वरूप ,
विश्व पटल पर शंखनाद करे भारतियों की एकता की गूँज ।।।