आंनद
आंनद
आनंद ही आंनद मिलता जब भी नवरात्रि आती है
ऐसे होती हूँ मगन भक्ति में भूख प्यास मिट जाती है
नौ दिन में मैया मेरी आंनद और स्फूर्ति बरसाती है
भर देती है झोली खुशियों से हर दुख दूर भगाती है
हर घर में होते कीर्तन गरबों की धूम मच जाती है
आती है जब मैया मेरी मेरा हर संकट हर जाती है।