मेरे प्यारे पिता
मेरे प्यारे पिता
पिताजी
परिवार का भार सहनता
आर्थिक व्यवस्था को सुधरता रहता
बाल-बच्चो के प्रतिनिधि होता
उनके बडप्पन में आधार-शिला होता
शिक्षा-दीक्षा का मूल कर्ता
भविष्य निर्माण में सहायता करता
गृहस्थ साम्राज्य का राजा होता
शासन और अनुशासन की नींव डालता
कठिन परिस्थितियों का सामना करता
कभी-कभी मूक रहते हुए भी मुझ पर
अपना ख्याल व्यक्त करता
मेरी असवसथ-अवस्थाओं में
मुझसे ज्यादा डाक्टर से बातचीत करता
पर्व-त्योहारों के अवसर पर
गर्व से सबको भेंट देता
सच कहती हूँ पिताजी
ऐसा त्यागमय जीवन न किसी ने जिया है
मेरे दिमाग में आपके जैसे न किसी ने सम्मान पाया है
काश ! आपने सबकुछ बलिदान किया है
फिर भी मुझे यह घर प्रदान किया है
आज घर-घर में आपके सदस्यों की आवाज़ है
लेकिन भगवान की गोद में आपका निवास है
खुश हूँ कि आपको आराम मिला है
दुखी हूँ क्योकि भगवान ने आपके साथ-साथ
वह पवित्र-स्नेह भी मुझसे छीन लिया है
विश्वास है कि आपके आशीर्वाद मेरे साथअब भी है
आत्म-विश्वास को बढ़ावा देनेवाला अस्त्र सिर्फ वह ही है
धन्यवाद पिताजी आपने मेरी ढेर सारी इच्छाएं पूरी की है
आपसे मेरी विनती है एक और इच्छा भी पूरी करने का
वह इस प्रकार है
आपसे दी हुई शिक्षा से यह कविता
आपको समर्पण करती हूँ
सिर्फ इस कविता को स्वर्ग से ही ग्रहण करें
और एक बार बड़ी जोर से बोलिए ताकि मुझे सुनाई दें
जीत ही रहो बेटी ! आपका आभारी
आपकी प्यारी बेटी।
