ऐसा देश मेरा
ऐसा देश मेरा
जंहा राम और श्याम ने रची अदभुत लीला,
जंहा होती राम जी की राम व कृष्ण जी की रासलीला।
वेद मंत्रों से गूंजता है जिसका आसमान नीला,
जंहा फैला उजियारा शिक्षा और ज्ञान का।
जंहा साधु-संतों को पूजा जाता,
तन-मन-धन सब वारा जाता।
जंहा महात्मा बुद्ध ने अहिंसा व सत्य के मार्ग पर चलना सिखाया,
गुरू नानकदेव जी ने विश्व प्रेम का राग फैलाया।
जंहा जातिवाद व भेद-भाव का मन से दूर हुआ अंधियारा,
बस प्रेम-प्यार-स्नेह-विश्वास का फैला प्रकाश सारा।
जंहा तुलसी-सुरदास ज
ी के दोहे गाते व सुनते बड़े चाव से,
बड़े या छोटे सभी सुनकर खो जाते राम नाम में।
कण-कण में यंहा है ज्ञान भरा तुलसी-सुरदास कबीर जी का,
गांधी जी ने दिया मंत्र भारत को तकदीर का।
संतों का यह देश विश्व में इसकी अमर कहानी है,
हमारा देश है एक भाव ये बात विश्व ने मानी है।
आओ कल्पना करे फिर से उसी भारत की,
जंहा जन्मी हो प्रेम-प्यार की भावना फल-फूलों की तरह।
जो सुगंध-खुशबु से भरे हर दिल चंदन की तरह,
जैसे प्यासे की प्यास बुझाती शबनम फूलों की तरह।