आँखों में धूल
आँखों में धूल


आँखों में धूल चली जाए तो
कोई बड़ी बात नहीं
पर कोई आँखों में धूल झोंक जाए
ये बेशक छोटी बात भी नहीं।
चली जाए जो धूल आँखों में तो
उसे हम इत्तेफाक कहते हैं।
धोखेबाज लोग तो इस धूल को,
बस एक मजाक कहते हैं।
मिट्टी वाली धूल चली जाए तो,
निकालना थोड़ा मुश्किल होता है।
पर धोखेबाज धूल झोंक जाए तो,
जाहिर करना भी नामुमकिन होता है।
अचानक आई ये धूल तो,
आंखों को चोट पहुँचाती हैं।
पर धोखेबाज ने जो झोंकी धूल,
वो दिल के टुकड़े कर जाती हैं।
उड़ता हुआ धूल आँखों में जाना
कोई बड़ी बात नहीं।
ना भूल कि झोंक जाए कोई भी
ये तो छोटी बात भी नहीं।