आँखों में अश्रु भरे
आँखों में अश्रु भरे
रख काँधे पर सर अपना
अँखियों में अश्रु भरे हुए
पहन अँधियारों को
दर्द – पीड़ा की सुबकी लेते।
हर्ष – कर्ष की बातों में, अब्धुमन की वीरानी खाती।
किसकी आहट सुनें
पास कौन आयेगा
अतिथि की आँखों को
जो आँसू दे जायेगा ।
किससे हम अनुरक्त हो, भेजते उर-वेदना की पाती।
क्यूँ करे कोई याद
इष्ट अपना यहाँ कौन
जग इक बंधन है
अनुराग इक सपन।
विचार कर अकुलाए, अंत:करण को ढाँढ़स दे जाती।
है चंदा भी अकेला
अकेली है उसकी चाँदनी
मुग्ध हो हँसी दोनों
ले ली है हृदय पर अपनी।
खाली मन प्राणों से, मीत-प्रीति की चुटकियाँ ले आती।