आँखों की बातें
आँखों की बातें
बहुत हुई अब आँख मिचौली, अब तो रंग दिखाना होगा,
आँखों से आँखें टकराकर, खुलकर सब कह जाना होगा,
जब तक तुम सहते जाओगे, दुनिया नाच नाचाएगी,
पैरों में घुँघरू बँधवाकर, अपना ही सुर गाएगी,
अब अवसर है खड़े रहो तुम, अब तो पाँव जमाना होगा,
आँखों से आँखें टकराकर, खुलकर सब कह जाना होगा,
अपनों की पहचान करो तुम, उनसे मत टकराना तुम,
उनसे ही तो तुम 'तुम'हो, मन उनका नहीं दुखाना तुम,
अगर कहीं से भूल हुई तो, गलती को विसराना होगा,
आँखों ही आँखों में उनसे, खुलकर सब कह जाना होगा।