आँगन
आँगन


सतरंगी से फूल खिलें है, भौरे गाते मधुबन में।
मेरा भारत अब भी बसता है गाँवों के आँगन में।
बारिश की बूंदे गिरकर जब धरती को महकाती है।
मोर नाचता है बागों में कोयल गीत सुनाती है।
ओस चमकती है मोती सी, दिखती जब वो चाँदन में।
मेरा भारत अब भी बसता....
सीना फाड़ धरातल का, सोना कृषक उगाते है।
अपने खूं से इस धरती के माथे तिलक लगाते है।
इस धरती के वीर सिपाही, बसते दिल के प्रांगण में
मेरा भारत अब भी.....
परंपरा सदियों से निभती, आई है इन गाँवों में।
अब भी न्याय मिलें पंचों का पीपल पेड़ कि छाँवों में।
सज्जनता, मानवता बच्चे सीखें लालन पालन में।
मेरा भारत अब भी बसता....
गाय चराते दिखते ग्वाले, पनघट पर है पनहारण।
मिट्टी में बच्चे जो खेलें, दृश्य बड़ा है मनभावन।
सांझ ढले राधा कृष्णा का, रास रचे जो कानन में।
मेरा भारत अब भी बसता...
पाक महीने ईद मनाई, जलते दीप दिवाली में।
बैसाखी फसलों का उत्सव, फाग गा रहे होली में।
हरियाली का उत्सव मनता, झूले डलते सावन में।
मेरा भारत अब भी बसता ....
शहरी भाग दौड़ से बचकर, देखो गाँवों में जाकर।
अम्बर बाहें फैलाकर खुद मिलता धरती से आकर।
हाथ जोड़ स्वागत करने का अलग मज़ा अभिनंदन में।
मेरा भारत अब भी...