हमारा नया साल
हमारा नया साल
चैत्र शुक्ल एकम को मनाते है,हम हमारा नया साल
इसीदिन धरती पर अवतरित हुए थे,भगवान झूलेलाल
प्रकृति में भी होता बदलाव,ऋतुओं का बदलता बाल
इसदिन से ब्रह्माजी जी,धरा पर जीवन की सुर ताल
खेती का भी पूर्ण हो जाता है,इसवक्त तक पूर्ण काम
इसी दिन मातारानी की उपासना का पर्व होता है,साथ
प्रातः उठकर माता-पिता के चरण छूकर लगाते हाथ,माथ
इस प्रकार करते है,हम अपने हिन्दू नववर्ष की शुरुआत
कहीं खेलते रात्रि डांडिया,कहीं होते रामायण पाठ
हमारे नववर्ष का पूरे के पूरे नो दिन चलता है,धमाल
इन नो दिनों मातारानी मंदिरों में मेलों का पूंछो न हाल
पैर रखने की जगह भी नही मिलती है,हैं ना कमाल
खास हम,एकदिन बजाय,हरदिन जाये मातारानी पास
साखी का मानना है,गम क्या,छू न सकेगा,तुम्हे काल
अंतिम दिन मातारानी स्वरूप कन्या को करते याद
खिलाते उन्हें भोजन,छूकर उनके पैर लेते है,आशीर्वाद
आजकल भूर्ण-हत्या,अन्य अपराध में आती न लाज
फिर क्या फायदा कन्या पूजन का,छोड़ दो व्यर्थ संवाद
मातारानी का कोई न कोई अंश हर स्त्री में करता,निवास
हर स्त्री को सम्मान दे,ओर पा ले माता का कृपा प्रसाद
चैत्र शुक्ल एकम को मनाते है,हम हमारा नया साल
इसदिन नीम पत्ते औऱ मिश्री दोनो खाते है,एकसाथ
ताकि बीते कड़वे अनुभव भूले ओर रहे मीठी यादे याद
नवें दिन प्रभु श्री राम जन्मदिन मनाते हर्षोउल्लास साथ
कई घरों में कुल देवी दयाहडी मां पूजन होता है,खास
पूरे वर्ष के बुरे कर्मों का इसदिन करते है,पश्चाताप
पाश्चात्य सँस्कृति ने माना हिंदी नववर्ष में कुछ तो है,बात
तभी तो ग्रह,नक्षत्र आदि गणना की सच्ची है,हर बात
आओ अपनी संस्कृति पर गर्व करे,करे खुद से मुलाकात
जो अपनी जड़ों से जुड़े है,वहीं खिलते है फूल,गुलाब
वो फूल थोड़ी देर में सूख जाते है,जो छोड़ते,जड़ें तात
चैत्र शुक्ल एकम को मनाते हैं, हम हमारा नया साल।