STORYMIRROR

Vimla Jain

Tragedy

3  

Vimla Jain

Tragedy

आम आदमी की क्वॉरेंटाइन डायरी

आम आदमी की क्वॉरेंटाइन डायरी

1 min
233

मैं हूं एक आम आदमी की डायरी जो हमेशा लोगों से छिपा कर लिखी जाती है।मुझ में सब आम आदमी जिसकी मैं डायरी होती हूं उसके सारे राज छिपे होते हैं ।

जी हां मैं हूं एक आम आदमी की डायरी। 

मुझे खुशी है कि मैं आम आदमी की ही डायरी हूं , किसी डॉन की नहीं।

नहीं तो मेरे में उसके अपराध का कच्चा चिट्ठा लिखा होता ,

और पुलिस मुझे तलाश रही होती।

खुशनसीब हूं, मैं कि आम आदमी की डायरी हूं ।

मुझ में लिखे हैं वह सुख दुख भरे पल जो तुमने जमाने से छुपाए मगर मुझको बताएं।

खुशनसीब हूं मैं कि मैं तुम्हारी डायरी हूं

जी हां मैं आम आदमी की ही डायरी हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy