STORYMIRROR

Asmita prashant Pushpanjali

Romance

3  

Asmita prashant Pushpanjali

Romance

आलम

आलम

1 min
408

तेरी तन्हाइयों के वो आलम होते थे

हम मोहब्बत में तेरी रुसवा होते थे।


खफा होते थे चारों पहर अपने आपसे

भरी महफील में यारों के तन्हा होते थे।


कोइ नहीं भाता था इस दिल को

तेरी ही यादों में हर दम डुबे होते थे।


जालिम तेरे लिये दिल आँसू बहाता था

वर्ना हम तो गम में भी खुश होते थे।


गर पता होता बेमुर्बत हो पुष्पांजलि

यारा हम अकेले ही किनारे खड़े होते थे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance