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आल्हा छंद

आल्हा छंद

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जाग हे नारी शक्ति अब तो समय कर रहा यही पुकार

रानी लक्ष्मी बाई बनके दुशमन को अब तू ललकार


भूखे वहशी घूम रहे जो मिटा जगत से उनका नाम

काली, दुर्गा जैसी बन के दुष्टों का कर काम तमाम


आज नहीं तुम नारी अबला दुनिया में रखती पहचान

चलो कदम से कदम बढ़ाते हर मुश्किल होगी आसान


सफ़ल बनो अपने जीवन में होगा जग में सुंदर नाम

अगर ठान लो तुम जीवन में होंगे हासिल कई मुकाम


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