आख़री मुलाक़ात... 1
आख़री मुलाक़ात... 1
पल वो था कुछ ऐसा
दर्द भरा हुआ जैसा,
आँखों में नमी थी
लैबों पे न ख़ुशी थी,
फिर भी न रोने की
अदा तो हमने की,
रोके न रुकी जाने कब
आँख समंदर बन गयी,
अश्रु की धारा पलकों से
बहती ही रह गयी,
दिल तड़पता ही रह गया
दिल धड़कता ही रह गया।

