STORYMIRROR

Omdeep Verma

Abstract

5.0  

Omdeep Verma

Abstract

आखिर निर्भया को मिला इंसाफ

आखिर निर्भया को मिला इंसाफ

1 min
241


कोशिशें फेल सब दरिंदों की 

आखिर सत्य की जीत हुई।

फंदे चार झूलते देखकर

दरिंदगी भी भयभीत हुई।


हां! थोड़ी देर हुई

पर निर्भया को इंसाफ मिला। 

न्याय की आस में फिरती आशा को

आखिर अब थोड़ा आराम मिला।


मौत का मंजर रचने वालों में 

खौफ मौत का दिख रहा था।

उस रात निर्भया को नोचने वाला

एक-एक पापी बिलख रहा था। 


सवा सात साल से नम आंखें 

आज उस मां की चमक उठी है।

देख सामने पापीयों की लाशें

मुरझाए चेहरे पर हंसी फूटी है।


जीत ये अकेली निर्भया की नहीं 

उनकी भी है जो इस क्रुरता का शिकार हुई।

ये उन सबका इलाज है पक्का 

जिनकी मानसिकता बीमार हुई।


ऐसे पाप की यही सजा होनी चाहिए 

अभी भी फाईलों में बंद फरियादें चुप बहुत है।

किसी की मौत का जश्न तो नहीं होना चाहिए 

फिर भी 'ओमदीप' खुश बहुत है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract