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Bhawana Raizada

Tragedy

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Bhawana Raizada

Tragedy

आखिर कब तक

आखिर कब तक

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आखिर कब तक ?

निज स्वार्थ भाव अज्ञात भय,

हर पल मन को मारती,

चल देती बढ़ जाती है।

स्वामिभक्त अर्धांगिनी।


आखिर कब तक ?

पल पल परीक्षा की।

अधिकारिणी बहू,

सीता का साथ निभाएगी।

हर बार सूली पर जाएगी।


आखिर कब तक ?

नारी हर बार

अपनी शक्ति दबाएगी।

खुद ही दायरों के पीछे

अपनी राह छुपायेगी।


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