आकाश
आकाश
आकाश भी कभी मस्त पवन का मजा लेता है
तो कभी बादल भी मंडराने लगता है
होश मदहोश ये मौसम,
ठंड हवा का झौंका ले आता है ।
हवाएं भी कभी,
गुमसुम हुवा करती है
तो कभी गुमसुम हवा भी,
किसीका इंतजार करती है
दास्तां तो ढूंढ लिया, समंदर भी आहे भरता है
चलो आज हम वर्षाव से, सारे को नहेलाता है ।।
सरिताएं की किनारे, उछल उछल सी जा रही
फिर काले गगन आने को, धरती से कहे रही
खेत खलियान मस्त पवन का,
पक्षियों गीत सुनाता है
हरे भरे लहलहाते खेत से,
किसान भी गीत गुनगुनाता है।