फूलों से हंसना सीखो
फूलों से हंसना सीखो
फूलों से हंसना सीखो,
ताकि किसी का दिल बहला सके
किसी को प्यार से दो लफ्जों से कहे,
जो आपके पास आ सके ।
कुदरत ने सबको एक जैसा नहीं बनाया,
ओ भी सबकी फरियाद जानता है
ऐ दिलों के मोहताज क्यों ऐसा सरहताया,
जो आज भी फरमाया जाता है
सारा लेने पर उतावला करें,
ऐ नादान दिल क्यों ठहराना सके
किसी को प्यार से दो लफ्जों से कहे,
जो आपके पास आ सके ।।
इतनी गैराही देखते हुए भी तू ,
फूलों कि तरह होना पाया
क्या तू गुल खिलाएगा,
किसी का दिल तू समझ ना पाया
अंधेरा को चांद उजाला देता है,
तू उस फूल के सामने नज़र उठाना सके
किसी को प्यार से दो लफ्जों से कहे,
जो आपके पास आ सके ।।