किसान
किसान
बादल भी आगे बढ़ रहाॅं है
गर्मी भी तहेनात हो रहीं है
ऐ कुदरत तेरा क्या है इशारा
काली चादर से बुंदे टपक रहीं है ।
सुखी हुई ज़मीन देखते हुए ,
किसान के ऑंख से मोती छलक आए
ऐ आसमा रहेम कर किसानों पर,
कुछ वक्त के लिए बरस जाए
किसान कि दुनिया, भारतीय जंग रहीं है
कौशल खेत फ़सल से,
ये दुनिया इसी पर चल रहीं है ।।
कह कर गए बुजुर्ग लोग,
भारत सोने की चिड़िया है
हरा भरा ये देश हमारा,
कौन हमारा पराया है
अंबर भी सिना तान कर, हुस्न के पास ही है
देखो किसान भाईयों, खुशीयां तुम्हारी यही है।