आजमाने से पहले सोचें जरा
आजमाने से पहले सोचें जरा
सादियों से अटल खड़ा पहाड़
पेड़ों और लताओं से सजा हुआ
हवा लहराती है, हर तरफ़ बसी है
हरियाली की चहल पहल देख हवा को
गुमान सा होने लगा मन ही मन अचानक।
जो मैं ना होती इस संसार में फिर क्या होता??
ना होते फूल पत्ते ना ये जहां जीवन्त होता
बरसात और धूप के बगैर रह सकते हैं कुछ दिन
मगर मुमकिन नहीं मेरे बिना एक पल रह पना
मैं ही तो इस दुनियाँ के सौंदर्या की वजह हूँ
इस दुनियां की हर वस्तु को मानना होगा मेरा अहसान।
अपनी महत्ता साबित करने के लिए सोचा एक उपाय
कर दिया बन्द हवा ने हरियाली भरे पर्वत से गुजरना
लगी दूर से तमाशा देखने अपने बिना कैसे रहेंगे सब
कुछ ही पलों में सारे पेड़ पौधे जीव जंतु लगे छटपटाने
देखते- देखते, उखड़ कर पेड़ लगे चारों तरफ़ गिरने
मिट्टी पत्थर पेड़ों की जड़ों से अलग होकर बिखरने ।
युगों से शान से ख़ुशहाली से भरा पर्वत ढहता चला गया
जमीन से सहन नहीं हुआ पहाड़ का यह दर्दनाक भार
गिरता हुआ पहाड़ गिरा सब तोड़ता हुआ सड़क पर
सड़क टूटकर बिखरने लगा खेतों खलिहनों को तबाह कर
गांव कस्बों को उजाड़ पत्थर पेड़ बस चाहते थे रुक जाना।
यह सब इतनी जल्दी घटता चला गया जो भयावाह था
हवा को अंदाज़ा नहीं था उसका घमंड तबाह कर देगा
खुद को ऊपर दिखाने के लिए वह गिर जायेगी इतना
महान साबित करने की लालसा इंसानियत भुला देगी
मरते छटपटाते दम तोड़ते जीवन को मिटते देखकर भी
नहीं तड़पेगी उसकी रूह अगर तो वह जिंदा ही नहीं है।
हवा अपने गुमान पर बयान करने से ज्यादा शर्मिंदा थी
मगर अब सुधारना मुमकिन नहीं थी अपनी ग़लती को
जो बिखरकर मिट चुके थे आसान नहीं उनको बसाना
उस विशाल पर्वत को फिर से स्वाभिमान से खड़ा करना
उस पहाड़ के हँसते खेलते जीवन को वापस लौटाना।
जिनके बिना जीवन संभव नहीं वो क्यूं आजमाते हैं
हर दी जाने वाली खुशी की कीमत हम क्यूं चुकाते हैं
आती जाती साँस गिनते नहीं क्यूं की हम जीते हैं
जिन्होंने जीने की वजह दी क्यूं वो रुलाते हैं सताते हैं
खुबसूरत यह संसार दिखा आँखों से ओझल हो जाते हैं।
इतने क्यूं इम्तिहान हैं दुनियाँ में सुकून के पलों की जगह
खिलखिलाती जिन्दगी के लिए सबका साथ जरूरी है।