आजादी
आजादी
गुलामी की जंजीरों से आजादी
देश पे मर मिटने वाले वीरों की
कुर्बानी से मिली आजादी
आजाद पंछी बन खुली फिजा में
सांस लेते खुशियां मनाने की आजादी
लहराते तिरंगे कह रहे
हमारे आजाद वतन की कहानी
नयी उमंग नयी जोश नये युग
नये आजाद भारत की मिट्टी
आज नयी सोच नये सपने
नयी आशायेऺ बुलंद हौसले बयां कर रहे
पर ये "आजादी" पन्नों पे उकेरे
शब्द बनकर ना रह जाये
यूं इक्कसवीं सदी में हम जी रहे
पर कुंठित सोच और कर्मों से
किधर हैं चल पड़े
कौम, मजहब, जातियों में
उलझ कर हम रह गये
कहां है इंसानियत, कहां है भाईचारा
अब तो बस एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये
बड़ी बड़ी बातें करने वाले शख्स
नारी को कठपुतली समझ बैठे
क्यों नारी को बस पराई समझ
उनकी अस्मिता पर वार कर रहे
उनके रूह को तड़पाकर
भी ना मिला चैन तो
नन्ही बच्चियों के अस्तित्व ही मिटा रहे
बरसों से चली आ रही प्रथा
"जहां नारी की पूजा
वहीं प्रभु का वास"
कहां गई ये परंपरायेऺ
कहां गई ये मानसिकतायेऺ
ये कैसे समाज में जी रहे हम
क्या यही है "आजादी" के मायने
क्रूरता, बर्बरता, संकीर्ण विचार
ग़रीबी, बेरोजगारी, शिक्षा का अभाव
बिन इलाज दम तोड़ते लोगों का मंजर
क्या यही है हमारी अब पहचान
आओ सभी को शिक्षित करें
अमीरी गरीबी के भेद मिटे
सबके दिलों में करुणा की लौ जले
सम्मान प्यार से सब गले मिले
एक दूसरे का हाथ थाम
नव भारत का निर्माण करें
"आजादी" का हम मान रखें।
