आज़ादी की कहानी
आज़ादी की कहानी
भारत देश हमारा प्यारा, कहलाता था यह सोने की चिड़िया,
गहरा षड्यंत्र रच कर, अंग्रेज इसके पंख कुतरने, था आया,
अपनी ही धरती पर हम सबको बना दिया था उसने गुलाम,
जातिवाद और धर्म के नाम पर हमें आपस में था लड़वाया।
सन् सत्तावन के विद्रोह से, शुरू हुई आज़ादी की ये कहानी,
विद्रोह की ऐसी आग लगी, किसी के रोकने से फिर न मानी,
क्रांति की एक ऐसी मशाल जली, जंग छेड़ दी भारत वीरों ने,
अँग्रेज़ी हुकूमत को, देश से बाहर खदेड़ने की, मन में ठानी।
देश से लूट लूटकर ले जा रहे सोना वो अंग्रेज जहरीले नाग,
भुखमरी गरीबी और बीमारी की फैल चुकी थी देश में आग,
इसी आग ने कितने आंदोलन छेड़े, कितने विद्रोह किए गए,
चिंगारी बनी ज्वाला जब हुआ हत्याकांड जलियांवाला बाग
रौद्र रूप धरा क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की अब खैर नहीं थी,
उधर द्वितीय विश्व युद्ध में, ब्रिटेन सेना कमज़ोर पड़ रही थी
मौका मिला छेड़ दिया क्रांतिवीरों ने भारत छोड़ो आंदोलन,
जिसे देख कर, अंग्रेजी हुकूमत को, मुंह की खानी पड़ी थी।
मातृभूमि के करोड़ों सपूतों ने, लड़ी है स्वतंत्रता की लड़ाई,
कष्ट सहे, तकलीफें झेली, जेल गए और लाठियां भी खाई,
छलनी हुआ सीना गोलियों से कतरा-कतरा बहाया था रक्त,
तब कहीं जाकर कण-कण में, स्वतंत्रता की साँस भर आई।
कितनी माँओं की कोख उजड़ी कितनी पत्नियों का सुहाग,
कितनी बहनों की राखियाँ थी उसमें, कितनों का था त्याग,
कितने ही बच्चे यतीम हो गए, पिताओं का बिखरा अरमान,
है देशभक्ति की पराकाष्ठा ये है मातृभूमि से असीम अनुराग।
स्वतंत्रता के इस तोहफे में, छुपा हुआ इन सबका बलिदान,
ज़िंदगी के अधूरे सफ़र में ही, वो देश के नाम हो गए कुर्बान,
तन मन धन न्योछावर किया मातृभूमि से निभाई मोहब्बत,
अपनी आखरी साँस तक लड़ें, शूरवीर थे, योद्धा वो महान।
उम्र की जिस दहलीज पर, आँखों में ख़्वाब सजाए जाते हैं,
जीवन साथी के साथ, एक नए सफ़र की शुरुआत करते हैं,
उस उम्र में इन्होंने अपना जीवन कर दिया देश को समर्पित,
इन स्वतंत्रता संग्राम नायकों को कोटि-कोटि नमन करते हैं।