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Sapna K S

Abstract

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Sapna K S

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आज फिर तेरे शहर से...

आज फिर तेरे शहर से...

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आज फिर तेरे शहर से मेरे नाम का पैगाम आया,

भूले बिसरे पल फिर वो नाम कर गया....

.

मन बहका....तन महका...

फिर कोई अधूरी ख्वाहिश जगा दिया....

आज फिर तेरे शहर से.....

.

बारिश का वो पानी...तेरी मुहब्बत का वो कोहरा...

दो साँसों को मिलाकर एक आवाज सुना गया.....

आज फिर तेरे शहर से.....

.

कभी हिचकिचाहट....तो कभी पास आने की तड़प.....

तुमसे जो बुझे वो अगन याद दिला गया....

आज फिर तेरे शहर से....


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