आज कुछ मौन सुनते हैं
आज कुछ मौन सुनते हैं
चलो शोर तो बहुत सुना,
आज कुछ मौन सुनते हैं।
सबके लिए तो बहुत जिया,
आज खुद के लिए जीते हैं।।
मौन की कुछ सुनकर,
मौन का आनंद लेते हैं।
भूल कर अब शोर जरा,
कुछ पल खुद में जीते हैं।।
क्या था करना,और किया क्या,
यह भी आज बूझते हैं।
बहुत हुई अब भागदौड़,
चल कुछ पल खुद में रुकते हैं।।
वसुधा की इस मोहकता को,
आज हम कुछ समझते हैं।
बहुत कुछ ये मौन भी कहता,
आज जरा समझते हैं।।
बहुत देखी है चकाचौध अब तक,
आज अन्तःभ्रमन करते है।
कुछ पल ही सही,
मौन का आंनद लेते हैं।।
मौन में ही सुनते हैं,
मौन में ही कहते हैं।
मौन राह अब निज का,
कुछ अवलोकन करते है।।