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Kajal Manek

Abstract

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Kajal Manek

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आज का इंसान

आज का इंसान

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आज का इंसान मतलबी हो गया है,

सिर्फ खुद के बारे में है सोचता,

धन को ही सब कुछ है वह मानता,


न भावनाओं का सम्मान है,

न उसे आंसुओं का ज्ञान है,


इंसान आज कल स्वार्थी हो गया है,

वो सिर्फ खुद की खुशियों में खो गया है,


दूसरों का दर्द उसे दिखाई देता नहीं है,

अपनी गलती न मानता है सुधारता भी नहीं है,


हां इंसान आजकल सिर्फ अपने बारे में सोचने में खो गया है,

इंसान आजकल मतलबी हो गया है।



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