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Dr Baman Chandra Dixit

Drama

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Dr Baman Chandra Dixit

Drama

आज जरूर पिऊँगा

आज जरूर पिऊँगा

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पिया नहीं था अब तक

आज जरूर पिऊंगा

बहुत खुश हूँ मैं 

आज जरूर पिऊंगा।


सुना था गम भुलाने के लिये

पीते हैं लोग अक्सर,

खुशियां मनाना है मुझे

आज जरूर पिऊंगा।


यूँ तो पीता हूँ रोज़

उनकी नज़र का जाम

असर किसी भी नशे का

होने ना देता ये कम।


ये ! अंगूर की बेटी सुन

आज् तुझे आजमाऊँगा,

खुशियां मनाना है मुझे

आज जरूर पिऊंगा।


यहाँ तो हर शख्स हर वक्त

नशे में मशगूल है

कोई दौलत, कोई शोहरत

कोई नशा ज़वानी में है।


ये ! नशा मैं तो बस तुझे

अपनी जुनून बना लूंगा,

खुशिया मनाना है मुझे

आज जरूर पिऊंगा।


बालपन से भी मैं

बचपन का नशा में था,

खेल में लगे सभी चोटों को

धूल में उड़ा देता था।


किसी भी नशे को मुझ पर

हावी ना होने दूंगा,

खुशियां मनाना है मुझे,

आज जरूर पिऊंगा।


जवानी का नशा का असर

जवानी मे हो ना पाया,

जिम्मेदारियों की नशा

बुजुर्ग बना दिया।


उमंग-ए-जवानी ठहर जा !

गुफ्तगू गहन करूँगा।

खुशियां मनाना है मुझे,

आज जरूर पिऊंगा।


दिन ढलने तो लगा अब

धुंध भी छाने लगा,

रुकता नहीं कम वक्त

अँगूठा दिखाने लगा।


मैं भी ज़िद्दी कम् नहीं हूँ

रात रंगीन बना दूंगा।

खुशियां मनाना है मुझे

आज जरूर पिऊंगा।।


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