आईना हूं मैं
आईना हूं मैं
आईना हूं, यथार्थ से परिचित कराऊंगा।
लगाये होंगे तुमने नित नये चेहरे,
मुखौटों के पीछे की असलियत बताऊंगा।
खफा होकर तोड़ दो, टूटे अंशों से सच्चाई दिखाऊंगा।
आईना हूं, यथार्थ से परिचित कराऊंगा।
मिलाओ आँखें मुझ में स्वयं से,
प्रबल हो, मैं वो भी दर्शाऊंगा ।
मक्कार हो, मैं वो भी नहीं छिपाऊँगा।
सच धूर्तों के लिए कड़ुआ होता है,
यह दवाई मैं तुम्हें रोज पिलाऊंगा।
आईना हूं, यथार्थ से परिचित कराऊंगा।
हो सच्चे निष्ठावान तो हौसला बढ़ाऊंगा।
आईना हूं जब-जब अक्स देखोगे,
तुम्हें वास्तु-स्थिति से अवगत कराऊंगा।