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गजेंद्र कुमावत"मारोठिया"

Comedy Drama Inspirational

4.5  

गजेंद्र कुमावत"मारोठिया"

Comedy Drama Inspirational

आगो मौसम चुनाव रो

आगो मौसम चुनाव रो

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फेर सु आगी भाळ चुनावा री, नुवा-पुराना नेता री 

षाढ मास म ही दिख्यो, सावन बरखा लागी रे 

घरा - घरा जार बात मनाव, हाथ जोड़ घुटना बल चाल्या रे

फेर सु आगी भाळ चुनावा री, नुवा-पुराना नेता री 

षाढ मास म ही दिख्यो, सावन बरखा लागी रे 


देख्या देख सफेदी चढ़गी, पगा म नूयी जूती घाल्या रे

मूँछ मुंडार मूँछ मरोड़, सगळा काड गाळा रे

आगी भाळ चुनावा री, नुवा-पुराना नेता री।


देखी भीड़ घणी चाया पर,  कुर्सी कुणकी चर्चा चाली रे

चुनावमंत्री सगळा बणग्या, खुद न ही खुद जीतावे रे 

अता दिना सू घरा बैठ्या, सगला बारे निकल्या रे

वोट बैं

क बनाबे ख़ातिर, हवा बनाव राता म

जीत-हार तो होती रेसी, मत कर आज बुरायाँ रे

आगी भाळ चुनावा री, नुवा-पुराना नेता री।


नुवा-नुवा का फड़का देख्या, म्हारी भी मंशा जागी रे 

म भी बणस्यू नेतों, पेर धोळो धोती-कुर्तों रे 

देख्या राजनीत का दावपेंच, म्हारो मनड़ो बोल्यो रे

प्यार-प्रेम की बोली बोल्यो, पर मिलसी इम बुराया रे

सोच्यो उल्टो म्हारो मनड़ो, गेला चुनाव याद दिरायो रे

भाया को भाया सु बेर, अ चुनाव करायो रे

दिल प हाथ राख सोगन खाली, 

पेट भरसी कमाया रे

खूब मुबारक़ सगळा न, वादा की पोटळ्या बणाया रे


आगी भाळ चुनावा री, नुवा-पुराना नेता री।


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