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गजेंद्र कुमावत"मारोठिया"

Inspirational

4.5  

गजेंद्र कुमावत"मारोठिया"

Inspirational

दर्द सुबह का उनसे पूछो

दर्द सुबह का उनसे पूछो

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दर्द सुबह का उनसे पूछो, 

सीमा पर डटकर खड़े है जो, 

देश की रक्षा की खातिर, 

घर से दूर रहे हैं जो, 


तूम डाल डाल, तुम पात पात, 

तुम घर के भेदी बनके बैठे हो, 

देखो रक्त रंजीत धरा को तुम, 

देश के उन वीरों को, 

तुम धर्म के नाम से लड़ते रहो , 

चाहते है देश के कुछ गद्दार ये 

वो अपनी बात बना लेते, 

तुम सिगड़ी सुलगा देते, 


अब तो समझों देशवासियों, 

सीमा पर खड़े उन वीरों को, 

देश के लिए वो जीते हैं

देश पर होते बलिदान वो, 

दिन का क

ुछ पता नहीं, 

माँ की लोरी उनसे पूछों, 

दर्द सुबह का उनसे पूछों, 

दर्द सुबह का उनसे पूछों|


कल देखा मैंने दिल्ली में, 

आज मेघालय को जला दिया, 

इंतजार में बैठे माँ, पत्नी, बच्चों के, 

पिता को उनसे छीन लिया, 


याद करो उन वीरों को, 

जो तुम्हे सुबह का सूरज दिखाते हैं, 

लेते हो जो तुम नींद सुकून की, 

वो सीमा पर पहरे देने जाते हैं, 

नींद नहीं आँखों में उनके, 

घर की यादें उनके अश्को से पूछों, 

दर्द सुबह का उनसे पूछो

दर्द सुबह का उनसे पूछों।



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