आगे बढ़ो
आगे बढ़ो


देख सुबह की पहली किरण,
तू निकल ले राहों पे।
यह जीवन है चंचल धारा,
रुकना है तुझे किनारों पे।
ना लहर तुझे हिलाएगा,
ना तरंग तुझे गिराएगा।
फौलाद है तू प्रवीण नाविक,
बढ़ते जा तू इशारों पे।
देख तुझे अजेय बन,
नव कलियाँ भी ठानेंगे ।
मैं भी वो सब पा लूँगा, जिसकी मुझको चाहत है।
देख सुबह की पहली किरण,
तू निकल ले राहों पे।
गुजर गया जो कल था तेरा,
रुकना कभी न यादों पे।