तन्हा रातों में
तन्हा रातों में
अक्सर मैं तन्हा रातों में,
बारह बजते ही छत पर।
सफेद चादर पहन टहलूँ,
लोग जो रात को जागते।
भूत प्रेत आत्मा समझते,
हनुमान चालीसा बोलते।
सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती,
बेचारों की नानी मर है जाती।
सिर पर मोमबत्ती जलती,
भयानक हँसी से है डरते।
जब सफेद चादर उतारूँ,
सब कहते बस करो यार।