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Sanjeev Singh Sagar

Others

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Sanjeev Singh Sagar

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कल और आज

कल और आज

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एक दर्द का तुफां आया है, 

दिल में गमों का बादल छाया है।

लाख संभाला नयनों को, 

पर यादों की बूंदो ने भिंगोया है।

 

सोचा न था मैंने कभी, 

होगी किसी से मेरी दिल्लगी।

हसरत थी उनको पाने की, 

ज़िन्दगी में उनको लाने की।

 

हर रोज़ नये सपने देखे, 

जाना है मुझे दूर तक, 

पाना है उस मंज़िल को, 

उनको साथ लेके।

 

बिखर गया मैं पन्नो-सा, 

बेवजह, बेमौसम उसने, 

बिना किसी शिकवा शिकायत के, 

जब छोङ दिया मेरा हाथ।

 

एक दर्द का तुफां आया है, 

दिल में गमों का बादल छाया है।

शायद उन्हें कोई और मिल गया? 

और मैं झूठी आशिकी की आग में जल गया।


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